करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने लहू जो बह गया कर्बला में उसके मकसद को समझो तो कोई बात बने
'न हिला पाया वो रब की मैहर को भले जीत गया वो कायर जंग पर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआ वही था असली और सच्चा पैगम्बर'
'क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे आयतें कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।'
अपनी तक़दीर जगाते है तेरे मातम से खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से अपने इज़हार-ए-अक़ीदत का सिलसिला ये है हम नया साल मनाते है तेरे मातम से
कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है यूँ तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिन हुसैन ने वो सज़दा किया जिस पर खुदा को नाज़ है
एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी जमीन है मेरे नसीब में परचम हुसैन का फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का
क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन का अब तक ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन का झोली फैला कर मांग लो मोमिनो हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का
वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया,घर का घर सुपुर्द-ए-खाक कर दिया ,नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम ,उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम |